चाय का गिलास

।।चाय का गिलास।।
"भैया! 2 चाय देना!" तेज़ गड़गड़ाते बादलों की आवाज़, आसमान में दूर तक फैली काली सुर्ख घटाओं और उफान मारती लहरों को देखकर चाय वाला अपनी समुद्र के किनारे लगी स्टाल बंद करने ही वाला था कि अचानक आई इस आवाज़ ने उसे अचरज में डाल दिया।
"साहब! बहुत तेज़ बारिश आने वाली है!" चाय वाले ने जवाब दिया!
"बस 2 कप भैया! कर दो ना यार!" चन्दर बोला।
चाय वाले ने अन्तिम बची चाय उबालकर पकड़ा दी।
चन्दर काली घटाओं को तट की तरफ आते देख पा रहा था।सागर की लहरें रोष के साथ आगे बढ़ रही थी। अचानक से तेज आवाज़ के साथ बिजली कड़कड़ाई और रिमझिम सी बारिश शुरू हो गयी।
"तुम जल्दी से गाड़ी में बैठो, मैं अभी आया!" जैसे ही सुधा की चाय खत्म हुई, चन्दर उसे गाड़ी की चाबी पकड़ाते हुए बोला।
सुधा को जाते देखकर चाय वाले ने चन्दर से पूछा, साहब! आप तो कभी चाय नहीं पीते? आज अचानक?


सुधा की लिपस्टिक के निशान लगे चाय के खाली गिलास को उठाते हुए चन्दर मुस्कुरा उठा।


उधर सुधा उन दोनों के, रेत पर छपे पैरों के चिन्हों की फोटो खींचकर चन्दर को आंख मारी और मुस्कुराकर बोली! "मुझे हमारी पहली डेट की कुछ यादें संभाल कर रखनी चाहिए।"


उधर चन्दर को भी कुछ यादगार चीज़ मिल गयी थी। 
चाय का गिलास।।


By Amit Kumar

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